सोमवार, 24 जनवरी 2011

हिन्दी चिट्ठाकारिता का एक नया कीर्तिमान

अविनाश वाचस्पति और गिरीश बिल्लौरे मुकुल के नाम
रविवार 9 जनवरी 2011 का दिन हिन्दी चिट्ठाकारिता - सम्मेलन के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है। इस दिन खटीमा (उत्त राखंड) में हिन्दी चिट्ठाकारों के सम्मेलन का जीवंत प्रसारण इंटरनेट के जरिए पूरे विश्व में सफलतापूर्वक विभिन्न एग्रीगेटर्स, विशेषरूप से ब्लॉगप्रहरी (दिल्ली), सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक, ट्विटर, गूगल-बज्ज आदि के जरिये किया गया।

हिन्दी ब्लॉगरों के सम्मेलनीय स्वरूप को चहुं ओर इसकी सकारात्मकता के साथ प्रवाहित करने वाले चर्चित ब्लॉ्ग नुक्कड़ के लेखक और चिट्ठाकार, साहित्यकार, व्यंग्यकार अविनाश वाचस्पति ने जबलपुर के जानेमान चिट्ठाकार गिरीश बिल्लौरे ‘मुकुल’ के साथ मिलकर इन पलों को पूरे विश्व में प्रसारित करके ऐतिहासिक बना दिया है। इससे साबित होता है कि धुन के धनी जब चाहते हैं तो प्रत्येरक परिस्थिति को अपने अनुकूल बना नेक कार्यों को सर्वोत्तम अंजाम तक पहुँचा देते हैं। इस अवसर पर साहित्य शारदा मंच के तत्वावधान में उत्तराखंड स्थित खटीमा के चिट्ठाकार, कवि डॉ. रूपचन्द्रर शास्त्री ‘मयंक’ की दो पुस्‍तकों- सुख का सूरज और नन्हें सुमन का लोकार्पण डॉ. इन्द्रराम, सेवानिवृत्ता प्राचार्य राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय काशीपुर के कर कमलों द्वारा किया गया । अविनाश वाचस्पति जी इस समारोह के मुख्यस अतिथि रहे। एक साथ कई पायदानों पर सफलतापूर्वक सफर करने वाले अविनाश वाचस्पसति और गिरीश बिल्लौतरे के इस कारनामे का, हिन्दी चिट्ठा विधा के चितेरे करोड़ों दर्शकों ने लगातार 6 घंटे तक भरपूर आनंद लिया और इसके साक्षी बने।

इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय है कि इस जीवंत प्रसारण को अब भी http://bambuser.com/channel/girishbillore/broadcast/1313259 पर देखा और सुना जा रहा है। इसे टीम वर्क का अन्यnतम उदाहरण बतलाते हुए अविनाश वाचस्प ति ने इसका श्रेय जबलपुर के गिरीश बिल्लौ्रे, दिल्लीह के पद्मसिंह के उनमें अपने प्रति विश्वापस के नाम करते हुए कहा है कि इस सजीव प्रसारण से हिन्दी ब्लॉ्गिंग के शिखर पर पहुंचने के प्रयासों में अभूतपूर्व तेजी देखने में आएगी।

इस अवसर पर खटीमा में मौजूद रहे, प्रख्यात हिदी चिट्ठाकार लखनऊ के रवींद्र प्रभात (परिकल्पना) , दिल्ली के पवन चंदन (चौखट) , राजीव तनेजा (हंसते रहो) , धर्मशाला के केवलराम (चलते चलते), बाराबंकी के रणधीर सिंह सुमन (लोकसंघर्ष) , खटीमा के रावेन्द्र कुमार रवि, डॉ. सिद्धेश्वर सिंह और आसपास के क्षेत्रों यथा बरेली, पीलीभीत, हल्द्वानी इत्यादि के साहित्यपकार, कवि, प्रोफेसरों और हिन्दी चिट्ठाजगत के प्रेमियों सोहन लाल मधुप, बेतिया से मनोज कुमार पाण्डेय (मंगलायतन) ,शिवशंकर यजुर्वेदी, किच्छा से नबी अहमद मंसूरी, लालकुऑ (नैनीताल) से श्रीमती आशा शैली हिमांचली, आनन्द गोपाल सिंह बिष्ट, रामनगर (नैनीताल) से सगीर अशरफ, जमीला सगीर, टनकपुर से रामदेव आर्य, चक्रधरपति त्रिपाठी, पीलीभीत से श्री देवदत्त प्रसून, अविनाश मिश्र, डॉ. अशोक शर्मा, लखीमपुर खीरी से डॉ. सुनील दत्त, बाराबंकी से अब्दुल मुईद, पन्तनगर से लालबुटी प्रजापति, सतीश चन्द्र, मेढ़ाईलाल, रंगलाल प्रजापति, नानकमता से जवाहर लाल, सरदार स्वर्ण सिंह, खटीमा से सतपाल बत्रा, पी. एन. सक्सेना, डॉ. गंगाधर राय, सतीश चन्द्र गुप्ता, वीरेन्द्र कुमार टण्डन आदि उल्लेखनीय हैं। कार्यक्रम का संचालन श्री रावेन्द्र कुमार रवि द्वारा किया गया।

प्रेषक : नुक्कड़ संपादकीय टीम।

कोई टिप्पणी नहीं: