मनोज भावुक ने बिहार, सिवान के एक छोटे से गाँव कौसड़ से अपनी साहित्यिक यात्रा शुरू की और अफ्रीका एवं लन्दन में जाकर भोजपुरी का प्रचार-प्रसार किया. उत्तर प्रदेश के हिन्डाल्को,रेनुकूट के मजदूर नेता एवं वरिष्ठ समाजसेवी रामदेव सिंह एवं गृहिणी सुनयना देवी के पुत्र मनोज कुमार सिंह उर्फ़ मनोज भावुक को साहित्यिक प्रतिभा विरासत में मिली है . मनोज के बड़े मामा छपरा निवासी प्रो० राजगृह सिंह हिन्दी -भोजपुरी के जाने-माने साहित्यकार हैं.
गत दिनों लखनऊ स्थिरत संस्थाज भाऊराव देवरस सेवा न्याहस ने भोजपुरी के इस लोकप्रिय कवि को भोजपुरी भाषा में उल्लेिखनीय योगदान के लिए पंडित प्रताप नारायण मिश्र स्मृभति-युवा साहित्युकार सम्मातन से नवाजा है। पहली बार किसी भोजपुरी साहित्य कार को यह सम्मायन मिला है। लखनऊ, उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक ‘माधव सभागार' में न्यास द्वारा आयोजित इस सोलहवें युवा-साहित्यतकार सम्माहन समारोह के दौरान मनोज भावुक को ये सम्मावन दिया गया। सेवानिवृत आई.ए.एस. विनोद शंकर चौबे, लखनऊ के पासपोर्ट अधिकारी जे.पी.सिंह और लखनऊ के महापौर डॉ. दिनेश शर्मा ने उन्हें सम्मा न प्रदान किया।
इस समारोह में श्री मनोज भावुक को सम्माहन स्व रूप पांच हजार रुपये, प्रशस्तिप पत्र, प्रतीक चिन्हा, माँ सरस्वसती की प्रतिमा, अंगवस्त्रप एवं न्यासस द्वारा प्रकाशित पुस्त्कों का सेट भेंट किया गया। मनोज भावुक की रचनाओं के बारे में टिप्पहणी करते हुए भाऊराव देवरस सेवा न्यातस के कार्यक्रम संयोजक डॉ. विजय कुमार कर्ण ने कहा ‘ मनोज भोजपुरी न्यू्ज चैनल ‘हमार टीवी' के क्रिएटिव हेड हैं और भोजपुरी के सुप्रसिद्ध युवा साहित्य कार हैं। पिछले १५ सालों से देश और देश के बाहर (अफ्रीका और यूके में) भोजपुरी भाषा, साहित्य और संस्कृशति के प्रचार-प्रसार में सक्रिय भावुक भोजपुरी सिनेमा, नाटक आदि के इतिहास पर किये गये अपने समग्र शोध के लिए भी पहचाने जाते हैं। अभिनय, एंकरिंग एवं पटकथा लेखन आदि विधाओं में गहरी रुचि रखने वाले मनोज दुनिया भर के भोजपुरी भाषा को समर्पित संस्था ओं के संस्थाऔपक, सलाहकार और सदस्ये हैं। ‘‘तस्वींर जिंदगी के''(गजल-संग्रह) एवं ‘‘चलनी में पानी''(गीत-संग्रह) मनोज की चर्चित पुस्तके हैं। ‘‘तस्वीार जिन्दंगी के'' के लिए मनोज को वर्ष २००६ के भारतीय भाषा परिषद सम्मातन से नवाजा जा चुका है। भाऊराव देवरस सेवा न्या्स मनोज भावुक को सम्मामनित करते हुए गौरवान्विात है।' विदित हो कि अभी हाल ही में मनोज भावुक को 'विश्वो भोजपुरी सम्मेहलन', दिल्लीर का अध्यतक्ष नियुक्तव किया गया है। यह भोजपुरी की एकमात्र अंतरराष्ट्रीय संस्था है.
सम्मान समारोह की अध्य्क्षता करते हुये विनोद शंकर चौबे ने मनोज भावुक की रचनाओं की जम कर तारीफ की और कहा कि मनोज ने रघुबीर नारायण के बटोहिया गीत की याद ताजा कर दी। इस मौके पर युवा कवि मनोज भावुक ने भोजपुरी में गजल पाठकर पूरा माहौल भोजपुरीमय कर दिया और कहा, ‘यह सम्माजन किसी एक व्याक्ति का नही है बल्कि भोजपुरी भाषा एवं साहित्य और देश-विदेश में फैले करोड़ों भोजपुरी भाषियों एवं भोजपुरी प्रेमियों का सम्मान है।'
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