१९ दिसम्बर २००९, इन्दिरा गान्धी भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र, फ़ेनिक्स मॉरिशस में भारतीय उच्चायोग द्वारा विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष में एक कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। १९ दिसम्बर को केन्द्र के कक्ष में चयनित रचनाकारों द्वारा कविता पाठ किया गया। हिन्दी के मूर्धन्य कवि श्री सूर्यदेव सिबोरत और वरिष्ठ कथाकार श्री रामदेव धुरन्धर निर्णायक थे। उनका निर्णय १० जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस के सन्दर्भ में आयोजित कार्यक्रम के अंतर्गत घोषित किया जाएगा। लेकिन बन्द लिफ़ाफ़े में पड़े उस निर्णय से पहले ही एक विजेता की घोषणा हो गई है, वह है: मॉरिशस की हिन्दी कविता। उच्चायोग और डॉ. करदम के इस आयोजन में सबसे सराहनीय बात यह है कि इस प्रतियोगिता में मॉरिशस की कविता की एक नई पीढ़ी उभरती हुई नज़र आई। मॉरिशस के स्थापित कवियों के स्थान पर इसमें उन युवा कवियों को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ जो अभी लिखना प्रारम्भ कर रहे है और सभी कविताएँ भी उच्च कोटी की थी।
अंजली हजगयबी, वशिष्ठ झमन, अरविन्दसिन्ह नेकितसिन्ह, विनय गुदारी, सेहलील तोपासी, जिष्णु होरीसोरन, रितेश मोहाबीर जैसे कुछ ऐसे नाम राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित इस कार्य में उभर कर आए जो कि मॉरिशस के साहित्य के भविष्य के लिए बहुत शुभ संकेत है। इस कविता पठन के तुरंत बाद मॉरिशस में महिला लेखन की आधारशिला: सुश्री भानुमति नागदान का आख्यान रहा। उन्होंने अपनी कहानियों में नारी विषय पर चर्चा की। यह न केवल बहुत रोचक और विचारोत्तेजक रही साथ ही जैसे मॉरिशस में लिखित साहित्य के एक अविच्छिन्न पक्ष पर परिचर्चा की महत्वपूर्ण शुरुआत भी रही। आशा है इस से अब मॉरिशस के साहित्य में नारी विष्य पर समालोचना को नई गति मिलेगी।
२८ दिसंबर २००९
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