रविवार, 27 सितंबर 2009

कृष्ण कुमार यादव की कृति 'बढ़ते चरण शिखर की ओर' का लोकार्पण


युवा प्रशासक एवं साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव के व्यक्तित्व-कृतित्व को सहेजती पुस्तक ''बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव'' का लोकार्पण ब्रह्मानन्द डिग्री कॉलेज के प्रेक्षागार में आयोजित एक भव्य समारोह में किया गया। उमेश प्रकाशन, इलाहाबाद द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का सम्पादन दुर्गा चरण मिश्र ने किया है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सुविख्यात साहित्यकार पद्मश्री गिरिराज किशोर ने कहा कि अल्पायु में ही कृष्ण कुमार यादव ने प्रशासन के साथ-साथ जिस तरह साहित्य में भी ऊँचाइयों को छुआ है, वह समाज और विशेषकर युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। वे एक साहित्य साधक एवं सशक्त रचनाधर्मी के रूप में भी अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। ऐसे युवा व्यक्तित्व पर इतनी कम उम्र में पुस्तक का प्रकाशन स्वागत योग्य है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आभार ज्ञापन करते हुए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति उ.प्र. के संयोजक पं. बद्री नारायण तिवारी ने कृष्ण कुमार यादव की रचनाधर्मिता को सराहा और कहा कि 'क्लब कल्चर' एवं अपसंस्कृति के इस दौर में उनकी हिन्दी-साहित्य के प्रति अटूट निष्ठा व समर्पण शुभ एवं स्वागत योग्य है।

इस अवसर पर कृष्ण कुमार यादव की साहित्यिक सेवाओं का सम्मान करते हुए विभिन्न संस्थाओं द्वारा उनका अभिनंदन एवं सम्मान किया गया। इन संस्थाओं में भारतीय बाल कल्याण संस्थान, मानस संगम, साहित्य संगम, उत्कर्ष अकादमी, मानस मण्डल, विकासिका, वीरांगना, मेधाश्रम, सेवा स्तम्भ, पं. प्रताप नारायण मिश्र स्मारक समिति एवं एकेडमिक रिसर्च सोसाइटी प्रमुख हैं। कार्यक्रम में कृष्ण कुमार यादव के कृतित्व के विभिन्न पहलुओं पर विद्वानजनों ने प्रकाश डाला। डॉ. सूर्य प्रसाद शुक्ल, डॉ. यतीन्द्र तिवारी, डॉ. राम कृष्ण शर्मा, भारतीय बाल कल्याण संस्थान के अध्यक्ष श्री रामनाथ महेन्द्र, प्रसिद्व बाल साहित्यकार डॉ. राष्ट्रबन्धु, समाजसेवी राजेन्द्र प्रसाद, अर्मापुर पी.जी. कॉलेज की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. गायत्री सिंह, बी.एन.डी. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विवेक द्विवेदी तथा शम्भू नाथ टण्डन सभी ने एक मत से इस कृति की प्रशंसा की। कार्यक्रम में अपने कृतित्व पर जारी पुस्तक से अभिभूत कृष्ण कुमार यादव ने आज के दिन को अपने जीवन का स्वर्णिम पल बताया। उन्होंने कहा कि साहित्य साधक की भूमिका इसलिए भी बढ़ जाती है कि संगीत, नृत्य, शिल्प, चित्रकला, स्थापत्य इत्यादि रचनात्मक व्यापारों का संयोजन भी साहित्य में उसे करना होता है। उन्होंने कहा कि पद तो जीवन में आते जाते हैं, मनुष्य का व्यक्तित्व ही उसकी विराटता का परिचायक है। स्वागत पुस्तक के सम्पादक श्री दुर्गा चरण मिश्र एवं संचालन उत्कर्ष अकादमी के निदेशक प्रदीप दीक्षित ने किया। कार्यक्रम के अन्त में दुर्गा चरण मिश्र द्वारा उमेश प्रकाशन, इलाहाबाद की ओर से सभी को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। कार्यक्रम में श्रीमती आकांक्षा यादव, डॉ. गीता चौहान, सत्यकाम पहारिया, कमलेश द्विवेदी, मनोज सेंगर, डॉ. प्रभा दीक्षित, डॉ. बी.एन. सिंह, सुरेन्द्र प्रताप सिंह, पवन तिवारी सहित तमाम साहित्यकार, बुद्विजीवी, पत्रकारगण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

आलोक चतुर्वेदी
उमेश प्रकाशन

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