![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjR2_Z4wigx75UfaGATBFlfFE7toFuZjlq0MFB9dldNyXeNO0Cdhchpb5gygZxnd3g0lUTHxrKkl35gDBKwbzjhnhh_9TSFVZ0ZIqJnEWZRvy9GuLNEwZGDpOdbhiImsydsgoEIOvy_B6A/s400/02_23_09g.jpg)
ओस्लो, १६ फरवरी। अमृतसर में सिक्खों के सबसे बड़े तीर्थस्थान स्वर्णमंदिर में 'स्वर्ण मंदिर' की तरफ़ से सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' को सरोपा और पुस्तकें भेंट करके सम्मानित किया गया। सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' को पंजाब में प्रवासी साहित्य गौरव सम्मान और उत्तर प्रदेश में प्रवासी साहित्यकार सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है। आप नार्वे में २५ वर्षों से 'परिचय और 'स्पाइल-दर्पण' पत्रिकाओं का संपादन कर रहे हैं। प्रवासीय लेखकों में अग्रण्य सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने हिंदी में 'नंगे पाँवों का सुख', 'नीड़ में फँसे पंख' जैसे कविता संग्रहों और 'अर्धरात्रि का सूरज' तथा 'प्रतिनिधि प्रवासी कहानियाँ' जैसे कहानी संग्रहों के अलावा दो नार्वेजीय काव्यसंग्रहों की रचना करने के साथ-साथ हैनरिक इबसेन के नाटकों और स्कैंडेनेवियाई साहित्य का हिंदी में अनुवाद तथा अनेक संकलनों का संपादन भी किया है।
माया भारती
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें